Reported by: Santosh Singh Taretiya
Article of the Month /नई दिल्ली, सितंबर 2025। अमेरिका में काम करने की इच्छा रखने वाले विदेशी पेशेवरों, खासकर भारतीय आईटी इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए बड़ा झटका आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में आदेश जारी कर कहा है कि अब नई H-1B वीज़ा पिटीशन दाखिल करने वाली कंपनियों को एकमुश्त $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) शुल्क देना होगा।
नई व्यवस्था कब से लागू होगी
यह नया नियम 21 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा। मौजूदा H-1B धारकों या नवीनीकरण पर यह शुल्क लागू नहीं है।
प्रवेश पर रोक भी
नियमों के अनुसार यदि यह शुल्क नहीं जमा किया गया, तो संबंधित विदेशी कर्मचारी को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह प्रतिबंध फिलहाल 12 महीने तक लागू रहेगा।
“राष्ट्रीय हित” में छूट
हालाँकि, अगर Department of Homeland Security (DHS) यह माने कि किसी खास नियुक्ति से अमेरिकी राष्ट्रीय हित जुड़ा है, तो उस मामले में शुल्क से छूट दी जा सकती है।
भारत पर सीधा असर
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हर साल जारी होने वाले H-1B वीज़ा में 70% से अधिक भारतीयों का हिस्सा होता है।
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आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर अमेरिका में भारतीय पेशेवरों की नई भर्ती पर दिखेगा और कंपनियाँ ऑफशोर काम बढ़ा सकती हैं।
अमेरिकी कंपनियों की चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि नई नीति से अमेरिकी उद्योगों में उच्च कौशल वाले कर्मचारियों की कमी हो सकती है, जिससे तकनीकी प्रगति प्रभावित होगी।
👉 यह कदम अमेरिका की “स्थानीय रोजगार प्राथमिकता” नीति को आगे बढ़ाता है, लेकिन इसका सीधा असर भारतीय प्रतिभा और अमेरिकी टेक कंपनियों पर पड़ेगा।
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